Thursday, December 30, 2010

Ten Lal Kitab remedies for all

Pt. Roop Chand Ji Joshi, (A holy man created Lal Kitab for humanity)

Q.1    नौकरी बार बार छूट जाती है ?
Ans :- 10 साधुओं को हर साल खाना खिलाए पर उनको पैसे ना दें, 43 दिन तक गेंहू और गुड़ मिला कर उनके लड्डू बनाए और स्कूल के बच्चो को बाँटे, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे लगाए, 43 दिन तक तीन केले मंदिर मे दान दें

Q.2 बहुत इंटरव्यू दिए पर पास नही हो पाता, कोई ना कोई बात रह जाती है ?
Ans:- 43 दिन दो मुट्ठी सौंफ सरकारी संस्थान मे दान दें, 43 दिन पतीसा पिता को खिलाएँ

Q.3 सरकार के द्वारा परेशानी रहती है ?
Ans:- राहु की वस्तु से परहेज करें जैसे काले नीले रंग से, बंदरो को गुड़ खिलाते रहे,  हर सूर्या ग्रहण मे 4 नारियल 400 ग्राम साबुत बादाम जल प्रवाह करें |

Q. 4 घर मे रोज झगड़ा होता रहता है ?
Ans:- 43 दिन सिरहाने पानी रख कर कीकर के पेड़ मे डाले,  43 दिन 3 केले मंदिर मे दें, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल और चाँदी का चकोर टुकड़ा डाल कर रखे, विद्वान या माता के पावं मे हाथ लगाकर आशीर्वाद ले, घर के उत्तर पूर्व कोने से संदूक, ट्रंक या किसी भी प्रकार की गंदगी हो तो हटा दे,

Q. 5 जो काम करता हूँ, पूरा नही होता ?
Ans:- 43 दिन  गाय के घी का दीपक मंदिर मे जलाएँ, ज़मीन मे पैदा हुई सब्जी धार्मिक स्थान मे दे 
Q.6 मुझे रात को नींद नही आती है ? 
Ans :- 2 किलो सौंफ सूती लाल कपड़े मे बाँध कर सोने वाले कमरे मे रखे,  2 किलो देसी खंड, लाल कपड़े मे बाँध रखें,   हर रोज सिरहाने पानी रख कर सोए, और रोज किसी बड़े पेड़ मे डाल दे पिए नही, पूरब और उत्तर की तरफ सर रख कर ना सोए, 48 दिन 3केले मंदिर मे दे, कुत्तो की सेवा करें.

Q7 . मरने का डर लगता है ?
Ans :- 96 दिन के लिए नाक छेदन करवा कर चाँदी धारण करे, 43 दिन खाली मटका जल प्रवाह करें, लोहे का छल्ला बीच वाली उंगली मे धारण करे और तांबे के छेड़ वाला पैसा गले मे पहने

Q.8 पढ़ाई मे मन नही लगता है ?
Ans :-  43 दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्या अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल रखे, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल  खिलाएँ

Q.9 किसी काम मे मन नही लगता है ?
Ans :-  43 दिन 500 ग्राम दूध मंदिर मे दें, सूर्य अस्त के बाद दूध और चावल का इस्तेमाल ना करे, चाँदी के बर्तन मे गंगा जल करें, हर रोज केसर का तिलक माथे ज़ुबान और नाभि मे करे, 43 दिन बड़ के पेड़ पर दूध चड़ा कर गीली मिट्टी का तिलक करे, हर गुरुवार और सोमवार को सफेद घोड़े या पीले घोड़े को चने की दाल  खिलाएँ

Q.10 सब से अधिक अपने आपको ग़रीब बेसहारा समझता हूँ ?
Ans :- हर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पर 4 नारियल और 400 ग्राम साबुत बादाम जल प्रवाह करें, घर के उत्तर पूर्व मे पानी का कुंभ लगाएँ, चाँदी तन मे धारण करें, हर शुक्रवार अपने वजन के बराबर हरा चारा गाए को खिलाए, हर रोज इत्र का इस्तेमाल करें, हर रोज नहा कर साफ़ कपड़े प्रेस किए हुए पहने, हर रोज उगते हुए सूरज के सामने खड़े हों.
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Wednesday, December 8, 2010

SHIV TANDAV STOTRAM

SHIV TANDAV STOTRAM
॥ शिव तांडव स्तोत्रम् ॥

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले ,
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम् ।
डमड्डमड्ड्मड्ड्मन्निनादवड्ड्मर्वयं ,
चकार चण्डताण्डवं तनोतु न: शिव:शिवम् ॥ 1 ॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्ध्दनि
।धगध्दगध्दगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके ,
किशोरचन्द्रशेखरे रति: प्रतिक्षणं मम ॥ 2 ॥

धराधरेन्द्ननन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर-
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुध्ददुर्धरापदि ,
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ 3 ॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे , 
 मनोविनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ 4 ॥

सहस्त्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधुलिधोरणीविधुसराङध्रिपीठभू: ।
भुजंगराजमा्लया निबध्दजाटजूटक: ,
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखर: ॥ 5 ॥

ललाटचत्वरज्वलध्दनञ्ज्यस्फुलिंगभा-
निपीतपंचसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयुखलेखया विराजमान शेखरं ,
महाकपालि सम्पदे शिरो जटालमस्तु न: ॥ 6 ॥

करालभाल्पट्टिकाधगध्दगध्दगज्ज्वल
ध्दनञ्ज्याहुतीकृतप्रचण्डपंचसायके ।
धराधरेन्द्ननन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥ 7 ॥

नवीनमेघमण्डलीनिरुध्ददुर्धरस्फुर
त्कुहुनिशीथिनीतम: प्रबन्धबध्दकन्धर: ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुर: ,
कलानिधानबन्धुर: श्रियं जगदधुरन्धर: ॥ 8 ॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबध्दकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं ,
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥ 9 ॥

अखर्वसर्वमंगलाकलाकदम्बमञ्जरी ,
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं ,
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥ 10 ॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमभ्दुजंगमश्र्व्स ,
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिध्दिमिध्दिमिद्ध्वनन्मृदंगतुन्गमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्ड्ताण्डव: शिव: ॥ 11 ॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकस्रजो
र्गरिष्ठरत्नलोष्ठ्यो: सुहृद्विपक्षपक्षयो: ।
तृणारविन्दचक्षुषो: प्रजामहीमहेन्द्रयो: ,
समप्रवृत्तिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥ 12 ॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुंजकोटरे वसन् ,
विमुक्तदुर्मति: सदा शिर:स्थमञ्जलिं वहन् ।
विलोललोचनो ललामभाललग्नक: ,
शिवेति मन्त्रामुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥ 13 ॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं ,
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुध्दिमेति सन्त्ततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं ,
विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिन्तनम् ॥ 14 ॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं ,
य: शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरंगयुक्तां ,
लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भु: ॥ 15 ॥

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