विभिन्न गायत्री मंत्र
मंत्र विज्ञानं में गायत्री माँ का स्थान सर्वोपरि है | माँ गायत्री के मूल मंत्र से ज्ञान, बुद्धि के विकास के साथ साथ बुरे कर्मो का भी निदान होता है | जब भी गायत्री माँ के मंत्र का जाप करे उससे पहले ऋषि विश्वामित्र, मुनि वशिष्ठ जी व ब्रह्मा जी का मानसिक ध्यान जरूर करना चाहिए | प्रस्तुत लेख में विभिन्न ग्रहों व देवी देवताओ की गायत्री मंत्र दिया गया है | अपनी आस्था व ग्रहों की दशा के अनुसार गायत्री मंत्र का चयन करके निष्ठा पूर्वक इसका कम से कम १०८ बार अर्थात एक माला का जाप जल के लोटे व अग्नि का दीपक जलाकर उसके सामने करे |
सूर्य गायत्री- "ॐ आदित्याय च विधमहे प्रभाकराय धीमहि, तन्नो सूर्य :प्रचोदयात "|
चन्द्र गायत्री- ॐ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि,तन्नो सोम प्रचोदयात"|
मंगल गायत्री- "ॐ अंगारकाय विधमहे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भोम :प्रचोदयात"|
बुध गायत्री- "ॐ सौम्यरुपाय विधमहे वानेशाय च धीमहि, तन्नो सौम्य प्रचोदयात"|
गुरु गायत्री- "ॐ अन्गिर्साय विधमहे दिव्यदेहाय धीमहि, जीव: प्रचोदयात "|
शुक्र गायत्री- "ॐ भ्र्गुजाय विधमहे दिव्यदेहाय, तन्नो शुक्र:प्रचोदयात"|
शनि गायत्री- "ॐ भग्भवाय विधमहे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात "|
राहू गायत्री- "ॐ शिरोरुपाय विधमहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नो राहू:प्रचोदयात"|
केतु गायत्री- "ॐ पद्म्पुत्राय विधमहे अम्रितेसाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात"|
ब्रम्हा गायत्री- "ॐ वेदात्मने च विधमहे हिरंगार्भाय तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात "|
विष्णु गायत्री- "ॐ नारायण विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात"|
शिव गायत्री- ॐ महादेवाय विधमहे, रुद्रमुर्तय धीमहि तन्नो शिव: प्रचोदयात "|
कृष्ण गायत्री- ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे, वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात "|
राधा गायत्री- ॐ वृष भानु: जायै विधमहे, क्रिश्न्प्रियाय धीमहि तन्नो राधा :प्रचोदयात "|
लक्ष्मी गायत्री- ॐमहालाक्ष्मये विधमहे, विष्णु प्रियाय धीमहि तन्नो लक्ष्मी:प्रचोदयात|
तुलसी गायत्री- ॐ श्री तुल्स्ये विधमहे, विश्नुप्रियाय धीमहि तन्नो वृंदा:प्रचोदयात "|
इन्द्र गायत्री- ॐ सहस्त्र नेत्राए विधमहे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्र:प्रचोदयात "|
सरस्वती गायत्री- ॐ वाग देव्यै विधमहे काम राज्या धीमहि तन्नो सरस्वती :प्रचोदयात "|
दुर्गा गायत्री- ॐ गिरिजाये विधमहे, शिवप्रियाय धीमहि तन्नो दुर्गा :प्रचोदयात "|
हनुमान गायत्री- ॐ अन्जनिसुताय विधमहे वायु पुत्राय धीमहि, तन्नो मारुती :प्रचोदयात "|
पृथ्वी गायत्री- ॐ पृथ्वी देव्यै विधमहे सहस्र मूरतयै धीमहि तन्नो पृथ्वी :प्रचोदयात "|
राम गायत्री- ॐ दशारथाय विधमहे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो राम :प्रचोदयात "|
सीता गायत्री- ॐ जनक नंदिन्ये विधमहे भुमिजाय धीमहि तन्नो सीता :प्रचोदयात "|
यम् गायत्री- ॐ सुर्यपुत्राय विधमहे, महाकालाय धीमहि तन्नो यम् :प्रचोदयात "|
वरुण गायत्री- ॐ जल बिम्बाय विधमहे नील पुरु शाय धीमहि तन्नो वरुण :प्रचोदयात "|
नारायण गायत्री- ॐनारायण विधमहे, वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायण :प्रचोदयात "|
हयग्रीव गायत्री- ॐ वाणीश्वराय विधमहे, हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीव :प्रचोदयात "|
हंसा गायत्री- ॐ परम्ह्न्साय विधमहे, महा हंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात "|