विश्वकर्मा प्रकाश की व्याख्या एक नए अंदाज में
- अनुपम जौली
कहते है की सूर्य से सभी ग्रहो की उत्पत्ति हुई| और पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात पृथ्वी पर जिस विशाल उर्जा की उत्पत्ति हुई उसे वास्तु पुरुष का नाम स्वयं ब्रम्हाे जी ने दिया, जो की स्वयं स्रष्टीकर्ता है|
उस उर्जा पुरुष की उत्पत्ति कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि, शनिवार, कृतिका नक्षत्र, व्यतीपात योग, विष्टि करण, भद्रा के मध्य, कुलिक मुहूर्त मे हुई|
इससे ये निश्चित तो है की अगर इस उर्जा की किसी भी प्रकार से कोताही की तो बड़ा नुकसान निश्चित है|
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