चमत्कारिक रामचरित मानस की चौपाइयां
ग्रंथो के अनुसार कलयुग
में श्री हनुमान जी की ही शक्ति निर्बल इंसान को सहायता प्रदान करेगी | कलयुग में संस्कृत के मंत्र, जिनका उच्चारण व प्रयोग न सिर्फ बहुत कठिन है उससे
लाभ प्राप्ति के लिए भी बहुत तप इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है | ऐसे में भगवान राम व हनुमान भक्त गोस्वामी तुलसीदास
जी ने जन बोलचाल की भाषा में रामचरित मानस की रचना की | और वाराणसी में भगवान शंकर ने मानस की चौपाइयों को
मंत्र शक्ति प्रदान की |
रामचरित मानस की सभी चौपाइयों के अर्थो के अनुसार मानव के मनोरथ
सिद्ध होते है | मानस सिद्ध मंत्र
का विधान यह है की पहले रात को दस बजे के बाद अष्टांग हवन के द्वारा सिद्ध करना
चाहिए | फिर जिस जिस कार्य
के लिए मंत्र जप की आवश्यकता हो उसके लिए नित्य जप करना चाहिए |
जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जिस चौपाई का जप बतलाया गया है उसको
सिद्ध करने के लिए सर्व प्रथम श्री हनुमान जी की आशीर्वाद मुद्रा वाली तस्वीर
या मूर्ति अथवा रामदरबार की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष अष्टांग हवन जिसकी
सामग्री होगी - १) चन्दन का बुरादा २) तिल ३) शुद्ध देसी घी ४) सुद्ध शक्कर ५) अगर
६) तगर ७) कपूर ८) सुद्ध केसर ९) नागरमोथा १०) पंचमेवा ११) जौ १२) चावल से उसी
चौपाई द्वारा १०८ बार हवन करना चाहिए | हवन की प्रत्येक आहुति में चौपाई आदि
के अंत में 'स्वाहा' शब्द का उच्चारण
करना चाहिए | उपरोक्त सामग्री
में पंचमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश, अखरोट और काजू ले सकते है |
एक दिन हवन करने से मानस के मंत्र सिद्ध हो जाते है | इसके पश्चात जब तक
की कार्य सफल न हो जाय तब तक उस चौपाई का जप प्रतिदिन एक माला अर्थात एक सौ आठ बार
जपना चाहिए |
विविध कामना सिद्धि के कुछ मानता निम्न लिखित है जिनसे आप लाभ
प्राप्त कर सकते है :-
1) मुकदमे में जीत हेतु -
पवन तनय बल पवन सामना, बुद्धि बिबेक बिज्ञान निधाना |
कवन सो काज कठिन जग माही, जो नहीं होइ तात तुम पाहि ||
2) श्री हनुमान जी की प्रसन्नता
प्राप्ति के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू | अपने बस करी राखे रामू ||
3) मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिए
-
हनुमान अंगद रन गाजे | हाँक सुनत रजनीचर भाजे ||
4) डर व भूत भागने का मंत्र -
प्रनवउँ पवनकुमार खेल बन पावक ग्यान घन |
जासु हृदय अगर बसहि राम सर चाप धार ||
5) ज्ञान-प्राप्ति के लिये-
“छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।।”
6) यात्रा की सफलता के लिए-
“प्रबिसि
नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥”
7)
विवाह के लिये-
“तब
जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥”
8) शत्रुता समाप्ति हेतु -
“बयरु
न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥”
9) मनचाहे कार्यों की सफलता हेतु -
“भव
भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।।”
10) काम धंदे के लिये
“बिस्व
भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।”
11) गरीबी समाप्ति हेतु -
“अतिथि
पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।”
12) विविध रोगों तथा उपद्रवों की
शान्ति के लिये
“दैहिक
दैविक भौतिक तापा।राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥”
13) शिक्षा में सफ़लता के लिये
“जेहि
पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं
कृपाँ अघाती॥”
14) संकट-नाश के लिये
“जौं
प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं
सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट
भारी।।”
अधिक जानकारी के लिए निम्न वेबसाइट पर जा सकते है :-